बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता
प्रमुख तत्त्व
(Major Elements )
शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए आवश्यक प्रमुख खनिज तत्त्वों का विस्तृत विवरण निम्नवर्णित है-
1. कैल्शियम — कैल्शियम शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी एवं उपयोगी खनिज है। हमारे शरीर में मौजूद खनिज लवणों की कुल मात्रा में से लगभग आधी मात्रा कैल्शियम की ही होती है। हमारे शरीर में कैल्शियम की सम्पूर्ण मात्रा मुख्य रूप से हड्डियों, दाँतों, रक्त तथा अन्य रसों में पायी जाती है।
कैल्शियम प्राप्ति के प्रमुख स्रोत – कैल्शियम की प्राप्ति का प्रमुख स्रोत दूध तथा दूध से बने पदार्थ हैं। सभी प्रकार के दूध कैल्शियम प्राप्ति के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। दूध के बिना कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा ले पाना व्यक्ति के लिए दुष्कर कार्य है। प्रौढ़ व्यक्ति को प्रतिदिन 2-3 कप तथा बच्चों को 3-4 कप दूध पीना जरूरी होता है। मक्खन तथा घी को छोड़कर दूध से बने समस्त पदार्थ कैल्शियम के प्रमुख स्रोत होते हैं। कैल्शियम की प्राप्ति के अन्य स्रोत हरी पत्तेदार विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ—हरी सरसों, दाल, पत्तागोभी, शलजम, सूखे मेवे तथा अण्डे आदि हैं। मांस तथा अनाजों में कैल्शियम की बहुत कम मात्रा पायी जाती है।
कैल्शियम के कार्य — कैल्शियम शरीर में निम्नलिखित प्रमुख कार्य करता है है-
(i) संवेदना प्रेषण में सहायक- कैल्शियम के टूटने से एक पदार्थ ऐसीटाइलकोलीन (acetylcholine) का निर्माण होता है। यह पदार्थ तन्त्रिका संवेदनाओं को एक तन्त्रिका से दूसरी तन्त्रिका के संवेदन में सहायक होता है।
(ii) वृद्धि में सहायक — यद्यपि कैल्शियम की कमी का शारीरिक वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, परन्तु जो व्यक्ति अपने आहार में कैल्शियम की कम मात्रा लेते हैं, वे सामान्य व्यक्तियों की तुलना में ठिगने रह जाते हैं। अत: शरीर की सामान्य वृद्धि के लिए व्यक्ति को जरूरी मात्रा में कैल्शियम लेना जरूरी है।
(iii) अस्थियों के निर्माण में सहायक — भ्रूण का विकास शुरू होते ही उसमें मैट्रिक्स नामक मजबूत एवं लचीला प्रोटीन बनना शुरू हो जाता है। यह पदार्थ हड्डियों के निर्माण में सहायक होता है। भ्रूण के जन्म के बाद मैट्रिक्स में दृढ़ता आती जाती है। खनिज लवणों के मैट्रिक्स में जमने की क्रिया कैल्सिफिकेशन या ऑसीफिकेशन कहलाती है। इस क्रिया में कैल्शियम, कैल्शियम फॉस्फेट व कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड के संयोजन से बने पदार्थ हाइड्रॉक्सीएपीटाइड को रवों के रूप में एकत्र कर लिया जाता है, जो मुख्य से हड्डी निर्माण में सहायक होता है।
कैल्शियम का अवशोषण एवं चयापचय – कैल्शियम का अवशोषण छोटी आँत के ऊपरी भाग में होता है। अवशोषित कैल्शियम की मात्रा शारीरिक अवस्था एवं जरूरत पर निर्भर करती है। वृद्धि की अवस्थाओं में जब कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है, तब उसका अवशोषण भी तेजी से होता है। सामान्य स्थिति में औसतन 30-40% भोजन का कैल्शियम अवशोषित हो जाता है।
अवशोषित होकर कैल्शियम रक्त परिवहन द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचता है। पैराथायरॉइड हॉर्मोन रक्त में कैल्शियम की मात्रा 9-11 मिग्रा / 100 मिली बनाए रखती है। शरीर में अतिरिक्त कैल्शियम हड्डियों में संगृहीत कर लिया जाता है और जब रक्त में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है, तो हड्डियों में से कैल्शियम निकलकर रक्त में स्वयं पहुँच जाता है, किन्तु दाँतों में प्रयुक्त कैल्शियम वैसा ही रहता है। वह स्थायी रूप से प्रयुक्त हो जाता है। हड्डियों में कैल्शियम निरन्तर आता-जाता रहता है। इसी कारण हड्डियों को 'कैल्शियम का भण्डार' कहा जाता है।
कैल्शियम मल, मूत्र व पसीने के द्वारा उत्सर्जित किया जाता है। एक प्रौढ़ व्यक्ति के शरीर से लगभग 170 मिग्रा कैल्शियम मूत्र द्वारा 20 मिग्रा पसीने के द्वारा तथा 125 मिग्रा मल द्वारा उत्सर्जित हो जाता है। इस प्रकार दिन में कुल कैल्शियम की उत्सर्जित मात्रा लगभग 320 मिग्रा होती है।
कैल्शियम अवशोषण में सहायक कारक
(i) भोज्य पदार्थों की अम्लीयता - कैल्शियम अम्ल में ज्यादा घुलनशील है। जब यह आन्त्र नली में अवशोषित होता है, वहाँ क्षारीय माध्यम होता है। अतः यदि कोई भोज्य पदार्थ अम्लीय प्रवृत्ति का हो, आमाशय से आन्त्र में प्रवेश करे, तो वह कैल्शियम अवशोषण में सहायक होता है, किन्तु यह तब होता है जब आन्त्र भित्ति के एन्जाइम्स स्त्रावित न हों।
(ii) लैक्टोज - लैक्टोज एक घुलनशील शर्करा – कैल्शियम यौगिक का निर्माण करता है। इस रूप में कैल्शियम अधिक घुलनशील होता है और आन्त्र भित्ति द्वारा सरलता से अवशोषित कर लिया जाता है।
(iii) विटामिन 'डी' - विटामिन 'डी' की पर्याप्त मात्रा कैल्शियम अवशोषण में सहायक है।
कैल्शियम अवशोषण में बाधक कारक
(i) आन्त्र नली का क्षारीय माध्यम — आन्त्र नली की क्षारीयता से कैल्शियम की अवशोषण दर घट जाती है।
(ii) ऑक्सेलिक अम्ल - यह कैल्शियम से संयुक्त होकर अघुलनशील पदार्थ कैल्शियम ऑक्सेलेट बनाता है, जो आन्त्र द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता।
(iii) फाइटिक अम्ल - यह भी कैल्शियम से संयुक्त होकर अघुलनशील पदार्थ बनाता है।
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